महाराजगंज का चुनावी मन*

 *महाराजगंज का चुनावी मन*



रिपोर्ट अनमोल कुमार


पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह जब आरजेडी में शामिल हो रहे थे तब उनके समर्थकों ने यह सवाल जरूर उनसे पूछा था कि ऐसी क्या मजबूरी है कि आप एक ऐसी पार्टी के साथ जा रहे हैं जिसके साथ संघर्ष करके आपकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई। तब उन्होंने कहा था कि आत्म सम्मान की लड़ाई हो तो बड़ा निर्णय लेना पड़ता है यह निर्णय 2013 में महाराजगंज में आरजेडी के उपचुनाव में जीत तथा 2014 में छपरा विधानसभा उपचुनाव में राजद की जीत के साथ काफी हद तक समर्थकों को अच्छा भी लगा जब प्रभु नाथ सिंह महाराजगंज से नीतीश कुमार के तमाम सियासी दाव के बावजूद जीत गए जबकि उनके बेटे रणधीर सिंह छपरा से चुनाव जीतने में सफल रहे। मोदी लहर में 2014 में प्रभु नाथ सिंह चुनाव हार गए जबकि 2015 में उनके बेटे रणधीर सिंह भी छपरा से चुनाव हार गए 2019 में रणधीर सिंह को राजद ने महाराजगंज से टिकट दिया मोदी लहर के बावजूद बिहार के गिनती के चार पांच सीटों पर राजद को सबसे ज्यादा वोट लाने वाले  उम्मीदवारों में महाराजगंज भी शामिल था। 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह के भाई केदारनाथ सिंह उनके गृह विधानसभा बनियापुर से जीत का हैट्रिक लगाने में सफल रहे जबकि बेटे रणधीर सिंह काफी कम अंतर से छपरा से विधानसभा का चुनाव हार गए। छपरा में रणधीर सिंह के पक्ष में जबरदस्त लहर थी पर चुनाव के वक्त ही तेजस्वी यादव का एक बयान बाबू साहब का सीना ऐसा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कि बाबू साहब लोगों को बुरा लग गया और इसका खामियाजा रणधीर सिंह को उठाना पड़ा। बाबूजी जिसके प्रभु नाथ सिंह का परिवार पूरी निष्ठा के साथ राजद के साथ लगा रहा रणधीर सिंह खुद लोकसभा का चुनाव हारने के बाद महाराजगंज में सक्रिय रहे पर चुनाव की घोषणा के बाद जानबूझकर रणधीर सिंह को रास्ते से हटाने के लिए राजद ने यह सीट कांग्रेस को दे दी। छपरा के एक राजद विधायक इस पूरे स्क्रिप्ट के लेखक रहे। उनके नेतृत्व में प्रभु नाथ सिंह के परिवार से खार खाए विरोधियों का एक  गुट बना। मीडिया रिपोर्ट पर अगर विश्वास करें तो यह कहा गया की अंतिम समय में रणधीर सिंह को दरकिनार करने के बाद राजपूत के अंदर एक बड़ी सहानुभूति होगी और जैसे ही रणधीर सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे महाराजगंज में राजपूत उम्मीदवार भाजपा के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का वोट कटेंगे और इसी में महागठबंधन का खेल हो जाएगा। पर 28 अप्रैल को मसरख में रणधीर सिंह के जन संवाद कार्यक्रम में जो भी राय उसने विरोधियों के इस समीकरण को पूरी तरह से झुठला दिया इस जन संवाद कार्यक्रम में राजपूतों के साथ ही मुसलमान व अन्य जातियों के समर्थकों की भीड़ नजर आई। मंच पर प्रभुनाथ सिंह के विधायक भाई केदारनाथ सिंह भतीजे युवराज सुधीर सिंह तथा महाराजगंज से निर्दलीय प्रत्याशी रणधीर सिंह के साथ ही साथ सभी समाज और वर्ग के लोगों को स्थान दिया गया इस कार्यक्रम में भीड़ ने एक सुर से रणधीर सिंह को चुनाव लड़ने का समर्थन किया। हालांकि वहां पर एक कमेटी का गठन किया गया जो 4 में तक अपनी रिपोर्ट देगी जिसमें पूरे लोकसभा के एक-एक पंचायत से समर्थकों के विचार एकत्रित किए जाएंगे की रणधीर सिंह को चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं पांचवें चरण के नामांकन के अंतिम दिन यानी 6 में को रणधीर सिंह लोगों का विचार पॉजिटिव आने के बाद नामांकन करेंगे। मसरख में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में सबसे बड़ा जो समीकरण नजर आया कि इसमें महाराजगंज के सभी 6 विधानसभा क्षेत्र से लोग स्वत पहुंचे थे जिसमें बुजुर्ग नौजवान के साथ ही साथ में कट्टर समर्थक भी थे जो प्रभुनाथ सिंह परिवार के राजद में चले जाने के बाद उनसे दूर हो गए थे वैसे तो सियासत में कोई किसी का मित्र या दुश्मन नहीं होता पर जो सियासत की स्क्रिप्ट महाराजगंज में लिखी जा रही है उसका परिणाम जरूर चौंकाने वाला होगा और जिसका इंतजार 4 जून तक सभी को करना होगा।

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