बिहार राज्य के उपमुख्य पार्षदों की प्रमुख मांगों को लेकर राज्यव्यापी आवाज
बिहार राज्य के उपमुख्य पार्षदों की प्रमुख मांगों को लेकर राज्यव्यापी आवाज
यूथ एजेंडा से रघुवीर की रिपोर्ट
बिहार राज्य के नगर निकायों के उपमुख्य पार्षदों ने शनिवार को पटना स्थित कौशल्या स्टेट में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर राज्य सरकार के समक्ष अपनी प्रमुख मांगों को मजबूती से रखा।प्रदेश अध्यक्ष पिंटू रजक ने कहा:राज्य में उप महापौर, उपाध्यक्ष एवं उपमुख्य पार्षद केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं। इनके पास कोई अधिकार नहीं है, जबकि ये भी मुख्य पार्षद की तरह सभी वार्डों का प्रतिनिधित्व करते हैं और जनता की अपेक्षाएं भी इन्हीं से जुड़ी रहती हैं। इसलिए हमने राज्य सरकार के समक्ष कुछ व्यावहारिक और न्यायसंगत मांगें रखी हैं।"उन्होंने यह भी कहा:पिछले दो वर्षों से हम लोग विभिन्न स्तरों पर संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान सभी नगर विकास एवं आवास मंत्रियों – क्रमशः श्री तेजस्वी यादव, श्री नितिन नवीन, श्री सम्राट चौधरी एवं वर्तमान मंत्री श्री जीवेश मिश्रा से दर्जनों बार मिलकर अपनी बात रख चुके हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि सब कुछ जानते हुए भी हमारी मांगों को लगातार अनसुना किया जा रहा है, जिससे हम सभी काफी मर्माहत हैं। यदि समय रहते राज्य सरकार हमारे मान, सम्मान और अधिकार के प्रति गंभीरता नहीं दिखाती है, तो हम सभी उपमुख्य पार्षद आने वाले समय में आंदोलनात्मक रुख अख्तियार करने को बाध्य होंगे।"प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं नगर निकाय की सभी संचिकाओं में उपमुख्य पार्षद को अनुमोदन देने का अधिकार मिले, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।योजना चयन एवं कार्यान्वयन हेतु उपमुख्य पार्षद को वार्षिक ₹5 करोड़ तक व्यय करने का अधिकार दिया जाए, जिससे वे अपने क्षेत्र की प्राथमिकताओं के अनुसार कार्य कर सकें। नगर निकाय के जनप्रतिनिधियों को आर्म्स लाइसेंस की सुविधा दी जाए, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।. उपमुख्य पार्षद का मासिक भत्ता ₹25,000 तक किया जाए, ताकि वे अपने पद की गरिमा के अनुसार कार्य कर सकें।5. नगर पंचायत स्तर पर कार्यरत उपमुख्य पार्षदों को वाहन भत्ता उपलब्ध कराया जाए, जिससे वे अपने कार्यक्षेत्र में सुगमता से भ्रमण कर सकें।6. सशक्त स्थायी समिति के गठन में उपमुख्य पार्षद को भी अधिकार दिया जाए, ताकि निर्णयों में उनकी सहभागिता सुनिश्चित हो। बिहार सरकार की 20 सूत्री कार्यक्रम, दिशा योजना एवं मुख्यमंत्री समग्र विकास योजना में उपमुख्य पार्षदों को सदस्य के रूप में नामित किया जाए, जिससे वे योजनाओं के क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभा सकें।इन मांगों के माध्यम से उपमुख्य पार्षदों की भूमिका को सशक्त किया जा सकता है और स्थानीय शासन को अधिक प्रभावी, उत्तरदायी एवं जनोन्मुख बनाया जा सकता है। राज्य सरकार से आग्रह है कि इन मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए शीघ्र निर्णय लिया जाए
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