मोकामा ( हथिदह) स्थित बाटा कंपनी बर्षो से बन्द, जिम्मेदार कौन?*
*मोकामा ( हथिदह) स्थित बाटा कंपनी बर्षो से बन्द, जिम्मेदार कौन?*
रिपोर्ट अनमोल कुमार
मोकामा ( पटना) मिनी कोलकाता के रूप में चर्चित मोकामा और उसके औधोगिक क्षेत्र के विनाश का जिम्मेदार कौन? 2012 से हथिदह, मोकामा स्थित चर्मोद्योग बेहतरीन टेनरी ( फिनिशिंग ओर चमकदार) चमडा उत्पादन के लिए मशहूर बाटा कंपनी बन्द क्यों हुआ? आज इस सवाल का जबाब हर नागरिक को ढूंढने की जरूरत है। क्या इसके पीछे फैक्ट्री में सटकर दीमक की तरह चाटने वाला कोई क्षेत्रीय जयचंद तो नहीं ? राजनीतिक गोटी सेकने वाले कोई गद्दार, तो नहीं ? अथवा अकुशल प्रबंधन तो नहीं? अगर कोई कारण नहीं है तो दीघा ( पटना) का बाटा कंपनी संचालित है और हथिदह ( मोकामा ) का बाटा कंपनी बन्द क्यों?
तकरीबन 300 नियमित और 500 ठेकेदार श्रमिक परिवार आज भी बदहाली और भूखमरी के शिकार है। कुल मायने में विध्वंस आसान है और निर्माण मुश्किल। इस कंपनी से जुड़े हजारों लोग भी आज फाकेकसी के शिकार है।
प्रबंधन द्वारा धीरे धीरे स्वैच्छिक अवकाश (VRS) और मजदूरों के छटनी की प्रक्रिया शुरू कर दिया गया। इस कंपनी में बाटा वर्कस यूनियन ( एटक) के नेता का, रत्नेश्वर सिह और ठेका श्रमिक का यूनियन, बाटा कामगार यूनियन ( HMS) के द्वारा श्रम संसाधन विभाग से श्रमिकों को लाभान्वित कराया।
बाटा कंपनी कि एक ठिकेदार जो दरियापुर में हड्डी खाद फैक्ट्री चलाता था, उस खाद से चमड़े की सफाई होती थी। कंपनी बन्द होते ही सपरिवार दीघा ( पटना) में निवास कर लिया। जहाँ आज भी बाटा कंपनी संचालित है।
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