हिंदी पत्रकारिता दिवस
मेरे प्यारे साथियों!
आज, हिंदी पत्रकारिता दिवस है। यह दिन हमें उस गौरवशाली परंपरा की याद दिलाता है, जिसने न केवल हमें सूचित किया, बल्कि हमारी आवाज बनकर समाज को दिशा भी दी।
1826 में, पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन कर हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी थी। वह एक ऐसा दौर था, जब सच्चाई की आवाज को दबाने की कोशिशें होती थीं। ऐसे समय में, 'उदन्त मार्तण्ड' एक मशाल की तरह जला, जिसने अन्याय के अंधेरे को चीरते हुए लोगों तक सत्य की रोशनी पहुंचाई।
आज, हिंदी पत्रकारिता ने एक लंबा सफर तय किया है। इसने हर चुनौती का सामना किया है, हर मुश्किल को पार किया है। स्वतंत्रता संग्राम में इसने राष्ट्र को एकजुट करने का काम किया, तो आज यह लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है।
लेकिन साथियों, यह राह आसान नहीं रही है। आज भी, पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियां हैं। फेक न्यूज़ का बढ़ता खतरा, सोशल मीडिया का प्रभाव, और कभी-कभी सत्ता के दबाव – ये सभी मिलकर सच्चाई की आवाज को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।
ऐसे समय में, हिंदी पत्रकारिता के सिपाहियों, आपको और भी अधिक सजग और निर्भीक होने की आवश्यकता है। आपकी कलम में वह ताकत है, जो झूठ के किले को ध्वस्त कर सकती है। आपकी आवाज में वह दम है, जो दबे-कुचलों को न्याय दिला सकती है।
हमें याद रखना होगा कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन है। यह समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि हम सच को सामने लाएं, निष्पक्ष रहें और बिना किसी डर के अपनी बात रखें।
आइए, इस हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम पत्रकारिता के मूल्यों को हमेशा ऊंचा रखेंगे। हम सच्चाई के साथ खड़े रहेंगे और हर उस आवाज को बुलंद करेंगे, जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है।
जय हिंद।
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